भारतीय ट्राइबल पार्टी (Bharatiya Tribal Party, BTP) ने शनिवार को गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए अपने 12 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की। साल 2017 के विधानसभा चुनावों में बीटीपी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था लेकिन इस बार वह अकेले ही चुनाव मैदान में होगी। चुनाव से पहले बीटीपी और आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) का गठबंधन भी टूट गया था। यहां तक की आम आदमी पार्टी ने बीटीपी के कई नेताओं को तोड़ लिया था। आदिवासी क्षेत्र में पड़ने वाली 27 सीटों की बात करें तो पिछले चुनावी आंकड़े भाजपा के पक्ष में नहीं रहे हैं। आइए डालते हैं आदिवासी क्षेत्र में पड़ने वाली विधानसभा सीटों के चुनावी इतिहास पर एक नजर…
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 27 विधानसभा सीटों वाला पूर्वी गुजरात का आदिवासी बहुल क्षेत्र भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है। इन विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस की मजबूत पकड़ देखी गई है। साल 2017 के विधानसभा चुनावों में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित इन 27 सीटों में से कांग्रेस ने 15, भाजपा ने आठ, भारतीय ट्राइबल पार्टी ने दो सीटों पर जीत दर्ज की थी। एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुआ था।
सूबे में लगातार छह विधानसभा चुनाव फतह करने वाली भाजपा इस बार इन 27 सीटों में से ज्यादा पर जीत दर्ज करने की कोशिश कर रही है। भाजपा की कोशिश है कि सत्ता विरोधी लहर से होने वाले नुकसान की भरपाई वह पूर्वी गुजरात के आदिवासी बहुल क्षेत्र से करे। वहीं कांग्रेस का दावा है कि आदिवासी आबादी इस बार भी उसके पक्ष में मतदान करेगी। वह आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए किए गए अपनी पूर्व की अपनी सरकारों के ‘अच्छे कार्यों’ का हवाला दे रही है।
गुजरात के 14 पूर्वी जिलों में आदिवासियों की बड़ी आबादी रहती है। साल 2011 की जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि गुजरात में आदिवासियों की आबादी 89.17 लाख के करीब थी। यह राज्य की कुल आबादी का लगभग 15 फीसद बैठती है। वहीं राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि सूबे में अन्य जगहों पर कमजोर नजर आ रही कांग्रेस आदिवासी बहुल क्षेत्र पर अपनी पकड़ को बनाए रखेगी। आम आदमी पार्टी भी इस क्षेत्र में सेंध लगाने को बेताब नजर आ रही है। माना जाता है कि उत्तर में अंबाजी से लेकर दक्षिण में उमरगांव तक फैले आदिवासी बहुल क्षेत्र में जिसने कमाल कर दिया विधानसभा में भी उसका असर नजर आता है। वैसे कांग्रेस गुजरात के गठन के बाद से ही इन इलाकों में अपनी पकड़ बनाए हुए है।