प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार और पार्टी दोनों ने पिछले आठ वर्षों में कल्याणकारी योजनाओं और इसके लाभार्थियों के इर्द-गिर्द अपनी राजनीति को एक प्रमुख मुद्दा बनाया है। 103वें संशोधन पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर और उच्च जातियों में सबसे गरीब लोगों के लिए 10 प्रतिशत कोटा की अनुमति, दोनों ही इस मुद्दे को और मजबूत करते हैं।
मोदी सरकार ने 103वें संशोधन के माध्यम से गरीबों के बीच कल्याणवाद को आगे बढ़ाकर और मंडल के दायरे से हटकर गरीबों को आरक्षण दिया है। मोदी सरकार पर आरोप लगता है कि पब्लिक अफेयर्स में अल्पसंख्यकों की कमी है वहीं सरकार का तर्क है कि इसकी सभी योजनाएं सभी के लिए हैं, किसी विशेष जाति-धर्म के लिए नहीं।
इस साल 1 अप्रैल तक 9 करोड़ ग्राहकों वाली उज्ज्वला योजना हो या 26 अक्टूबर तक 47.28 करोड़ खाताधारकों वाली पीएम जन धन योजना, महामारी के मद्देनजर 80 करोड़ से अधिक लोगों को प्रति माह 5 किलो मुफ्त राशन वाली योजना हो या प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी और ग्रामीण दोनों) के तहत स्वीकृत 3.35 करोड़ घर, बीजेपी की नजर में ये योजनाएं जाती और धर्म के विपरीत इसके जरुरतमंदों के लिए है।
हालांकि यह नया नहीं है। मंडल आयोग के समय से ही बीजेपी सवर्णों को आरक्षण की वकालत करती रही है। जून 1993 में बैंगलोर में अपनी राष्ट्रीय परिषद में, पार्टी ने एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण का समर्थन करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया और मांग की कि सामान्य श्रेणी के गरीबों को भी 10% आरक्षण दिया जाना चाहिए।
अक्टूबर 2017 में दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी रोहिणी की अध्यक्षता में ओबीसी के उप-वर्गीकरण के लिए एक आयोग का गठन किया गया था इसके साथ ही राष्ट्रीय ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया था। रोहिणी आयोग ने पाया है कि सभी नौकरियों और शैक्षणिक सीटों में से 97% ओबीसी के रूप में वर्गीकृत सभी उप-जातियों में से सिर्फ 25% ओबीसी के पास है। वहीं 983 ओबीसी समुदायों में कुल 37% का नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में शून्य प्रतिनिधित्व है।
पिछले यूपी चुनावों में ओबीसी में सबसे पिछड़े समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले छोटे दलों के नेताओं को विधानसभा चुनावों में प्राथमिकता दी गई थी। इसलिए नए जरूरतमंदों को कल्याणकारी लाभ देने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, न कि उन लोगों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जो पहले से ही क्रीमी लेयर के साथ कट-ऑफ के रूप में आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं।