Himachal Pradesh Election 2022: हिमाचल प्रदेश में मतदाताओं ने 1985 के बाद से हर विधानसभा चुनाव में मौजूदा सरकार बदल दी है और इस बार सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस रिवाज को बदलने पर आश्वत है। कांग्रेस को आशा है कि हिमाचल प्रदेश सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा उनकी जीत की राह को आसान करेगा।
भाजपा को एक ओर जहां दिग्गज नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और शांता कुमार ने बुढ़ापे के कारण प्रचार नहीं किया तो दूसरी ओर, पीएम मोदी की चुनावी जनसभा से जोश भी मिला है। जबकि, कांग्रेस अपने जन नेता और छह बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को याद कर रही थी, जिनकी 2021 में कोविड के कारण मृत्यु हो गई थी।
शिमला के लोअर बाजार में एक किताब की दुकान के मालिक नवीन सचदेवा का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी भी लोकप्रिय हैं और हम उन्हें पसंद करते हैं। उन्होंने दावा है कि उनकी अपील का सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। 68 सदस्यीय हिमाचल विधानसभा का चुनाव 12 नवंबर को होगा और परिणाम 8 दिसंबर को गुजरात के साथ घोषित किया जाएगा।
ओपीएस को लेकर सरकारी कर्मचारियों में गुस्सा
राजनीतिक विशेषज्ञ और नेता मानते हैं कि दो लाख सरकारी कर्मचारी आागामी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। कर्मचारियों का वोट प्रतिशत होने की वजह से चुनाव का रुख किसी भी पार्टी की ओर हो सकता है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के वादे के मुताबिक पुरानी पेंशन योजना-ओपीएस (OPS) की बहाली सरकारी कर्मचारियों को चुनाव में सोचने को जरूर मजबूर करेगी।
यही नहीं, भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने भी स्वीकार किया कि यह एक ‘ओपीएस’ एक प्रमुख चुनावी मुद्दा है। उनका कहना है कि सरकार के लिए जीवन भर के लिए काम करने वाले कर्मचारियों को न्यूनतम पेंशन का आश्वासन होना चाहिए, ताकि रिटायरमेंट के बाद वे सम्मान साथ रह सकें।
ओपीएस बहाली से हिमाचल में 6,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, जो पहले से ही 77,000 करोड़ रुपये के कर्ज में है। पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग को लेकर गठित कर्मचारी संघ के संयोजक प्रदीप ठाकुर ने कहा कि ओपीएस को लागू करने का कुल वित्तीय प्रभाव कई वर्षों में फैला होगा क्योंकि सभी सरकारी कर्मचारी एक या दो साल में सेवानिवृत्त नहीं होंगे।
उन्होंने कहा सरकार जो कॉरपोरेट क्षेत्र को टैक्स और अन्य लाभों के रूप में जो पैसा देती है, वह अभी भी बहुत कम होगा। जबकि, कांगड़ा के मुख्य बाजार में रमेश दीवान जैसे कुछ लोगों ने दावा किया कि सरकारी कर्मचारियों पर अत्यधिक ध्यान से राजनीतिक पार्टियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
सरकारी नौकरी चिंता का कारण
पिछले पांच वर्षों में पर्याप्त सरकारी नौकरियां चिंता का कारण हैं, खासकर हिमाचल के निचले जिलों हमीरपुर, मंडी, कांगड़ा और ऊना में। राज्य सरकार ने पिछले दो वर्षों में हिमाचल सड़क परिवहन निगम (एचआरटीसी) और पुलिस में रिक्त पदों को भरने की कोशिश की थी, लेकिन प्रश्न पत्र लीक होने के कारण परीक्षा रद्द कर दी गई। अगर पेपर लीक हो गया तो मेरी क्या गलती थी?
कांगड़ा जिले के ज्वालामुखी धार्मिक नगरी के डेरा गांव के 22 वर्षीय मुकेश राणा ने पूछा। राणा जल संसाधन विभाग में डाटा एंट्री ऑपरेटर के रूप में काम करता है और प्रति माह 4,500 रुपये कमाता है। हिमाचल में निजी क्षेत्र की नौकरियों के अभाव में सरकारी नौकरी ही रोजगार का मुख्य स्रोत है। एक कारण यह है कि सरकारी नौकरियों में हिमाचल की जनसंख्या का अनुपात सबसे अधिक है।