सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने एक फैसले में 19 साल की लड़की से गैंगरेप, उत्पीड़न और कत्ल के तीन दोषियों को रिहा कर दिया। इस फैसले की कल से ही चर्चा हो रही है और सवाल उठ रहा है कि आखिर इन्हें रिहाई क्यों मिली है। पीड़िता के परिजनों ने भी कहा कि इन लोगों को कम से कम उम्रकैद की सजा तो होनी ही चाहिए थी। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान माना है कि इन लोगों के खिलाफ आरोप साबित करने में पीड़ित पक्ष के वकील और पुलिस फेल साबित हुई है। ऐसे में इन्हें संदेह का लाभ देते हुए रिहा किया गया है। बता दें कि इन लोगों को निचली अदालत और हाई कोर्ट से मौत की सजा दी गई थी।
तीनों आरोपियों रवि कुमार, राहुल और विनोद को 2014 में ट्रायल ने मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा था। हालांकि शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान फैसला पलट दिया। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अभियोजन पक्ष तीनों के खिलाफ आरोप साबित करने में असफल रहा है। जजों ने कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से तार्किक संदेह जताया गया है, लेकिन आरोपों को साबित नहीं किया जा सका। इसके अलावा हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट को लेकर भी अदालत ने कहा कि उनकी भूमिका भी निष्क्रिय अंपायर जैसी थी।
SC ने बताया ट्रायल में कहां हुई चूक, क्यों किया गया रिहा