नेगी का शनिवार को राज्य के कल्पा में अपने घर में निधन हो गया था। उनके पोते दीपक कुमार ने बताया कि उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उनसे डाक मतपत्र के जरिए मतदान करने का आग्रह किया गया था।
उन्होंने कहा, ‘हालांकि वे (दादा) जोर दे रहे थे कि 12 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में प्राथमिक विद्यालय कल्पा के मतदान केंद्र पर जाकर मतदान करेंगे, जहां उन्होंने पहली बार मतदान किया था। लेकिन उन्हें चलने और खड़े होने में कठिनाई हो रही थी, इसलिए उन्हें वहां नहीं जाने की सलाह दी गई थी।’
निर्वाचन आयोग के अनुसार, 34वीं बार मतदान करने के तीन दिन बाद श्याम सरन नेगी का 106 साल की उम्र में निधन हो गया। निर्वाचन आयोग के ‘ब्रांड एंबेसडर’ नेगी ने दो नवंबर को डाक मतपत्र के जरिए हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मतदान किया था। उनके पोते दीपक ने कहा, ‘पहली बार उन्होंने डाक मतपत्र के माध्यम से अपना वोट डाला।’ उन्होंने कहा कि वर्षों से, नेगी युवा पीढ़ी के लिए एक आदर्श थे और वे लगातार लोगों को मत डालने और अच्छे नेताओं का चुनाव करने के लिए प्रोत्साहित करते रहते थे।
पर्यटन क्षेत्र से जुड़े सरकारी ठेकेदार दीपक ने कहा, ‘‘मेरे दादाजी हमेशा सभी से कहा करते थे कि हमें अपने मताधिकार का प्रयोग करना चाहिए।’ नेगी कभी भी किसी भी राज्य या आम चुनाव में मतदान करने से नहीं चूके थे। वे जब भी मतदान करने के लिए जाते थे, प्रशासन द्वारा उनका ‘वीआइपी’ की तरह स्वागत किया जाता था।
स्वतंत्र भारत में, 1951 में राज्य के अन्य हिस्सों से पहले, किन्नौर जिले के कल्पा क्षेत्र में मतदान हुआ था और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारी बर्फबारी की आशंका के बीच, नेगी ने पहली बार मतदान किया था।